सरकार द्वारा नागरिकों या निवासियों पर लगाए जाने वाले वित्तीय शुल्क को कर कहा जाता है। ये शुल्क अनिवार्य होते हैं और इन्हें आय, संपत्ति, वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगाया जा सकता है। कर लगाने का मुख्य उद्देश्य सरकारी गतिविधियों के लिए आवश्यक राजस्व जुटाना है, जिससे सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों जैसे सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण संभव हो सके। साथ ही, कर के माध्यम से धन का पुनर्वितरण, कुछ गतिविधियों से हतोत्साह करना या विशिष्ट व्यवहार को प्रोत्साहित करना भी शामिल है। यह ध्यान देना आवश्यक है कि कर सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत हैं।
करों के प्रकार
विभिन्न प्रकार के कर होते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं:
- आयकर: यह कर उन आयों पर लगाया जाता है जो व्यक्ति या व्यवसाय अर्जित करते हैं।
- संपत्ति कर: यह कर उन अचल संपत्तियों के मूल्य पर लगाया जाता है जो व्यक्ति या व्यवसाय के स्वामित्व में होती हैं।
- बिक्री कर: यह कर वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री पर लगाया जाता है।
- उत्पाद शुल्क (एक्साइज टैक्स): यह कर विशिष्ट वस्तुओं या सेवाओं जैसे पेट्रोल, शराब आदि पर लगाया जाता है।
- सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी): यह कर उन वस्तुओं पर लगाया जाता है जो किसी देश में आयातित की जाती हैं।
कर लगाने का तरीका
कर लगाने की प्रक्रिया देश के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। कुछ देशों में केवल केन्द्रीय सरकार कर लगाती है, जबकि अन्य देशों में केन्द्रीय और स्थानीय दोनों सरकारें कर वसूल करती हैं। इसके साथ ही, कर की राशि भी कर के प्रकार और करदाता की परिस्थितियों के आधार पर निर्धारित की जाती है।
करों के पक्ष और विपक्ष में विभिन्न तर्क प्रस्तुत किए जाते हैं। एक ओर, कुछ लोगों का मानना है कि कर आवश्यक सरकारी सेवाओं के लिए धन जुटाने का एक जरिया हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ इसे व्यक्तिगत और व्यावसायिक बोझ मानते हैं जो आर्थिक विकास में बाधा डालता है।
अंततः, कर लगाने का निर्णय राजनीतिक होता है। सरकारों को अपने नागरिकों के हित में करों के लाभ और लागत का तुलनात्मक विश्लेषण करना होता है।
भारत में कर लगाने की प्रक्रिया
भारत में कर लगाने की व्यवस्था में केन्द्रीय और राज्य सरकार दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है। केन्द्रीय सरकार आय, कॉरपोरेट मुनाफा, सीमा शुल्क एवं एक्साइज ड्यूटी जैसे कर लगाती है। वहीं, राज्य सरकार संपत्ति, बिक्री और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में कर वसूलती है।
इन करों की वसूली के लिए, केन्द्रीय सरकार के पास आयकर विभाग, सीमा शुल्क विभाग और केन्द्रीय एक्साइज विभाग हैं। राज्य सरकारें भी अपने-अपने कर विभागों के माध्यम से वसूली करती हैं।
सरकार इन करों का उपयोग रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसी विभिन्न योजनाओं तथा सेवाओं के वित्तपोषण में करती है।
निष्कर्ष
कर किसी भी सरकार की वित्तीय व्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये आवश्यक सेवाओं और कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने में सहायक होते हैं। भले ही करों को लेकर विभिन्न मतभेद हो सकते हैं, एक सुव्यवस्थित समाज में कर लगाना अनिवार्य है।