लेखांकन के सुनहरे नियम (The Golden Rules of Accounting)

 लेखांकन के सुनहरे नियम (The Golden Rules) क्या हैं?

वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting) केवल बहीखाता पद्धति (Bookkeeping) नहीं है।  लेखांकन (Accounting) में लेनदेन ( Transaction) दोहरी प्रविष्टि प्रणाली (Double Entry System) डेबिट और क्रेडिट (Debit and Credit) में दर्ज किए जाते हैं।  यह पहचानना जरूरी है कि किस खाते को क्रेडिट (Credit) किया जाना है और किससे डेबिट (Debit) किया जाना है।  वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting) तीन नियमों के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसे लेखांकन (Accounting) का सुनहरा नियम (Golden Rule) कहा जाता है।  ये सुनहरे नियम (Golden Rules) वित्तीय लेनदेन (Financial Transaction) की व्यवस्थित रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करते हैं।

इससे पहले कि हम लेखांकन के सुनहरे नियम (The Golden Rules of Accounting) शुरू करें, आइए Debit और Credit को समझें।

डेबिट (Debit) और क्रेडिट (Credit) क्या है?

डेबिट (Debit) और क्रेडिट (Credit) आपकी लेखा पुस्तकों (Accounting Books) में समान लेकिन विपरीत प्रविष्टियाँ हैं

डेबिट (Debit)

एक डेबिट (Debit) एक लेखा प्रविष्टि (Accounting Entry) है जो या तो संपत्ति या व्यय खाते (Assets or Expenses Account) को बढ़ाता है, या देयता या इक्विटी खाते (Liabilities or Equity Account) को घटाता है।  यह एक लेखा प्रविष्टि (Accounting Entry) में बाईं ओर स्थित है।

क्रेडिट (Credit)

एक क्रेडिट (Credit) एक लेखा प्रविष्टि (Accounting Entry) है जो या तो देयता या इक्विटी खाते (Liabilities or Equity Account) को बढ़ाता है, या संपत्ति या व्यय खाते (Assets or Expenses Account) को घटाता है।  यह एक लेखा प्रविष्टि (Accounting Entry) में दाईं ओर स्थित है।

क्रेडिट (Credit) और डेबिट (Debit) पांच मुख्य प्रकार के खातों को प्रभावित करते हैं:
  • संपत्ति (Assets): संपत्ति (Assets) एक व्यवसाय (Business) के स्वामित्व वाले संसाधन होते हैं जिनका आर्थिक मूल्य होता है।आप संपत्ति (Assets) को नकदी (Cash) में बदल सकते हैं।  (उदाहरण, भूमि और भवन, संयंत्र और मशीनरी, फ़र्नीचर और फ़िक्स्चर, कंप्यूटर, वाहन और नकदी।)
  • व्यय (Expenses): व्यय (Expenses) वें लागतें (Costs) हैं जो व्यवसाय चलाने से होती हैं।  (जैसे वेतन, मजदूरी, आपूर्ति)
  • देनदारियां (Liablities) : देयताएं (Liablities) किसी अन्य व्यक्ति या व्यवसाय के लिए बकाया राशि होती हैं।
  • इक्विटी (Equities) : इक्विटी (Equities) का मतलब है, आपकी संपत्ति (Assets) से आपकी देनदारियां (Liabilities) घटाई जाती हैं|
  • आय और राजस्व (Income and Revenue): बिक्री से नकद (Cash) आय।

डेबिट (Debit) और क्रेडिट (Credit) पांच मुख्य प्रकार के खातों (Account) को प्रभावित करते हैं
डेबिट (Debit) और क्रेडिट (Credit) पांच मुख्य प्रकार के खातों (Account) को प्रभावित करते हैं|



लेखांकन (Accounting) के प्रकार।

लेखांकन (Accounting) के सुनहरे नियम (Golden Rules) वित्तीय लेन-देन (Financial Transaction) को खाता बही (Books of Accounts) में दर्ज करने में मदद करते हैं।  ये सुनहरे नियम (Golden Rules) खाते के प्रकार पर आधारित हैं।  प्रत्येक लेन-देन में एक डेबिट और क्रेडिट प्रविष्टि (Debit and Credit Entry) होगी और निम्नलिखित तीन प्रकार के खातों में से एक से संबंधित होगी।
  1. व्यक्तिगत खाता
  2. वास्तविक खाता
  3. नाममात्र का खाता

व्यक्तिगत खाता (Personal Account)

एक व्यक्तिगत खाता (Personal Account) व्यक्तियों (Persons) से संबंधित एक सामान्य खाता खाता है।  यह प्राकृतिक व्यक्ति जैसे व्यक्ति या कृत्रिम व्यक्ति जैसे कंपनियां, फर्म, संघ आदि हो सकते हैं। जब कंपनी A किसी अन्य व्यवसाय या व्यक्ति से धन या क्रेडिट प्राप्त करती है, तो कंपनी A प्राप्तकर्ता बन जाती है।  और, दूसरा व्यवसाय या व्यक्ति जो इसे देता है, व्यक्तिगत खाते के मामले में देने वाला बन जाता है।  एक लेनदार खाता  एक प्रकार का व्यक्तिगत खाता है।

वास्तविक खाता (Real Account)

एक वास्तविक खाता (Real Account) एक सामान्य बहीखाता है जो संपत्ति और देनदारियों (Assets and Liabilities) से संबंधित सभी लेनदेन (Transaction) को दर्शाता है।  इसमें मूर्त और अमूर्त संपत्ति (Tangible and Intangible Assets) शामिल है।  मूर्त संपत्ति (Tangible Assets) जैसे फर्नीचर, भूमि, भवन, मशीनरी, आदि। दूसरी ओर, अमूर्त संपत्ति (Intangible Assets) जैसे सद्भावना, कॉपीराइट, पेटेंट, आदि।

नाममात्र खाता (Nominal Account)

एक नाममात्र खाता (Nominal Account) एक सामान्य खाता खाता है जो सभी व्यावसायिक आय, व्यय, लाभ और हानि से संबंधित है।  यह एक वित्तीय वर्ष (Financial year) से संबंधित सभी लेनदेन (Transaction) के लिए खाता है।  नतीजतन, शेष राशि शून्य पर रीसेट हो जाती है और नए सिरे से शुरू हो सकती है।  एक ब्याज खाता एक प्रकार का नाममात्र खाता है।

लेखांकन के तीन सुनहरे नियम (The Three Golden Rules of Accounting)

खाते के सुनहरे नियम (The Golden Rules of Accounting) बहीखाता पद्धति (Bookkeeping) का आधार बनते हैं।  लेखांकन के सुनहरे नियमों (The Golden Rules of Accounting) के अनुसार, आपको प्रत्येक लेन-देन के लिए खाते के प्रकार का पता लगाना चाहिए।  प्रत्येक प्रकार के खाते के अपने नियम होते हैं जिन्हें प्रत्येक लेनदेन के लिए लागू करने की आवश्यकता होती है।  लेखांकन के तीन सुनहरे नियम निम्नलिखित हैं:


The Golden rules of accounting
लेखांकन के तीन सुनहरे नियम (The Golden Rules of Accounting)

1) नियम: डेबिट (Debit) जो आता है, क्रेडिट (Credit) जो जाता है।

यह नियम वास्तविक खाते (Real Account) पर लागू होता है।  नकद, फर्नीचर, भूमि, भवन, बैंक, आदि।  वास्तविक खाते (Real Account) में शामिल हैं।  रियल अकाउंट में डिफॉल्ट रूप से डेबिट बैलेंस (Debit Balance) होता है।  नतीजतन, डेबिट (Debit) जो आ रहा है वह मौजूदा खाते की शेष राशि में जोड़ता है।  इसी तरह, जब एक मूर्त संपत्ति फर्म को छोड़ देती है, तो जो क्रेडिट (Credit) जाता है वह खाते की शेष राशि को कम कर देता है।

2) नियम: लेने वाले को डेबिट (Debit) करो, देने वाले को क्रेडिट (Credit) करो।

यह नियम व्यक्तिगत खाते (Personal Account) पर लागू है।  इसमें व्यक्ति या कृत्रिम व्यक्ति जैसे कंपनी, फर्म, व्यक्ति शामिल हैं।  जब कोई व्यक्ति या कृत्रिम व्यक्ति सामान या सेवाएं खरीदते हैं या अन्य व्यक्तियों से नकद प्राप्त करते हैं, तो वे प्राप्तकर्ता को डेबिट (Debit) कर देंगे, परिणामस्वरूप राशि प्राप्तकर्ता (Receiver) के खाते में जुड़ जाती है।  और जब व्यक्ति वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री करते हैं या अन्य व्यक्तियों को भुगतान करते हैं, तो वे दाता को क्रेडिट (Credit) करेंगे, परिणामस्वरूप दाता खाते से राशि काट ली जाती है।

3) नियम: सभी व्यय और हानि (Expenses and Losses) डेबिट (Debit) हैं, सभी आय और लाभ (Income and Gain) क्रेडिट (Credit) हैं।

 यह नियम नाममात्र खाते (Nominal Account) पर लागू होता है।  एक नाममात्र खाते (Nominal Account) में सभी आय, व्यय और लाभ और हानि (Income, Expenses, Profit and Losses) शामिल हैं।  एक कंपनी की पूंजी (Capital) इसकी देनदारी है।  परिणामस्वरूप सभी आय और लाभ (Income and Gain) को क्रेडिट (Credit) करने से पूंजी (Capital) में वृद्धि होगी।  दूसरी ओर, व्यय और हानियों (Expenses and Losses) को डेबिट (Debit) करने पर पूंजी कम हो जाती है।



Sandeep Ojha

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